डर लगता है ॥
वक़्त हो गया ए ख़ुशी, तुझ से मिले
आज जो मिली तो डर लगता है॥
दीदार करा था बरसों पहले,
कहीं हो न जाए तू फिर से लुप्त, डर लगता है॥
तू होती है जब या नही होती तब,
दोनों ही वक़्त,मुझको डर लगता है ॥
क्या फायदा ऐसी खुशी का -ओ खुशी,
जिसमे हर एक पल मुझको डर लगता है ॥
कमी निकालेगी तू मुझमे, कहकर ये कि तू तो आई,
और मुझे नाजायज़ डर लगता है ॥
आ पास बैठ मेरे और समझ बात को,
तू आती इतनी फुर्सत में है और जाती इतनी जल्दी,
तेरी इसी आदत से मुझे डर लगता है ॥
ना दियो इस बार शिकायत मुझे,
रुक थोड़ा मेरे पास लम्बा समय,
कि मैं भूल जाऊं,मुझे डर लगता है ॥

Image by Jill Wellington from Pixabay
Good one….Appreciated…….lekin mujhe darr lagta hai ki Prerna badi writer ho jaane ke baad kahin humein bhool na jaaye……….
Haha..Never Bhaiya..
Thank You! 🙂
Damnnnn! ??❤️
Thank You! 🙂
Very nice ♥️?
Thank You! 🙂
????
Thank You! 🙂
Amazing… Well Written ??
Kudos ✌✌
Thank You! 🙂
??..beautiful poem by beautiful girl
Thank You! 🙂
Beautiful poem
Thank You! 🙂