फिर से बोली सहेली मेरी, “कब तक बैठेगी तू सिंगल?
रानी नहीं तू कहीं की, एक मामूली प्यादा है।
कर अपने नख़रे ज़रा कम, तेरे नख़रे थोड़े ज़यादा है।”
बोली मैं- “कब कहा मैने तुझको कि चाहिए मुझको कोई शहजादा है।
मेरे खयालो में जो है- वो तो बिलकुल सादा है।”

क्या समझाती बार बार उसको, कि जो शख्स पसंद मुझको आता है,
वो पहले से ही किसी और का हुआ पाता है।
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“यही मकसद जिंदगी में बस रह जाता है?!”
ये कहकर बात घूमाई मैंने और कहा- “सिंगल रहने में मुझको बड़ा मज़ा आता है।”
बोली वो- “ना जाने ये तेरी अदा है या इरादा है।
खैर जल्दी से तैयार हो, हमने नेहा की शादी पर जाने का किया वादा है।
और जाने के लिए वक़्त बचा ना बिलकुल ज़यादा है।”
पहुंचे हम जैसे ही, देखा एक शख़्स को वहां,
देखते ही लगा जैसे इस से कोई राबता है।
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नहीं ऐसा कुछ खास ना था उसमें,
पर फ़िर भी कुछ खास था उसमें।
शायद उसकी सादगी, या ये कह लो,
कुछ बात थी आखों में उसकी।
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चुपचाप खड़ी रही और सोचा खुद में,
कैसे कोई बात शुरू किया जाता है?!
फिर सोचा हम तो लड़की है,
होता तो लड़का है, जो पहले जताता है।
अभी मशगूल ही थे हम कशमकश में,
सहेली ने बतलाया अनजाने में-
वो नेहा के भैया है, साथ में मंगेतर “सुजाता” है।
मुझे कुछ सुनाई न दिया,
बिलकुल कुछ दिखाई न दिया।
लगा जैसे सब सुन्न सा हो जाता है ।
ऊपर देखा और कहा “ये भी?!
क्या ऊपर कोई विधाता है?”

फिर दी तसल्ली खुद को कहके-
“जो मिलना होता है, वही मिल पाता है।”
इतने में आई मेरी सहेली की सहेली।
बोली मेंरी सहेली- ” इससे मिल, ये अनुराधा है।”
दिया परिचय मैंने भी अपना,
और गप्पें लडाए ऐसे, जैसे बरसों से कोई नाता है।
बात बात में पूछ बैठी अनुराधा,
आर यु मैरीड? (Are you married?)
झठ से बोली सहेली मेरी,
Reading this post brought smile on my face and i am still smiling ??
Thank You 🙂