Description
प्रत्येक व्यक्ति अपनी महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रयासरत है, पर इस दौड़ में वो कई बार अपनो से बिछड़ जाता हैं, क्योंकि कोई उससे तेज़ तो कोई उससे धीमा होता है ।
इसी कश्मकश को बयां करने का प्रयास लेखिका ने इस कहानी के माध्यम से किया है।
यह कहानी एक ऐसे पुरुष की कहानी है जो अपनी कुंठित मानसिकता के कारण दुख ही पाता है। उसके इस स्वभाव के कारण जीवन में हमेशा उथल-पुथल रहतीं है, हर प्रकार के भौतिक सुख होने के बाद भी मानसिक रूप से अशांत रहता है।
यह एक मौलिक रचना है, लेखिका की कल्पना पर आधारित इस कहानी का किसी व्यक्ति या स्थान से कोई लेना देना नहीं है।
इस शिक्षाप्रद कहानी में लेखिका का एक कवियित्री वाला रूप भी गाहे-बगाहे सामने आया है, हर पन्ने पर लेखिका ने एक मुक्तक के माध्यम से संदेश दिया है और एक कवियित्री को भी स्थापित किया है।